कोटा। शहर में हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से लगाए जा रहे कोनोकार्पस पेड़ अब लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। सिटी पार्क ऑक्सीजोन और चंबल रिवरफ्रंट में करोड़ों रुपए खर्च कर हजारों की संख्या में इस पौधे को लगाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पौधा बायोडायवर्सिटी को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहद हानिकारक है।
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| इन पौधों की पत्तीयां मवेशी भी नहीं खाती |
कोटा में कहां-कहां लगाए गए कोनोकार्पस?
कोटा विकास प्राधिकरण (KDA) द्वारा शहर के कई प्रमुख स्थानों पर इस पेड़ को बड़े पैमाने पर लगाया गया है —
सिटी पार्क ऑक्सीजोन: पूरे परिसर की चारदीवारी पर हर 10 फीट की दूरी पर
चंबल रिवरफ्रंट: बड़ी संख्या में
गणेश उद्यान
डीसीएम रोड
संजयनगर चौराहा
माला फाटक क्षेत्र
CAD रोड डिवाइडर
सीवी गार्डन
नयापुरा स्टेडियम के सामने डिवाइडर
कई मैरिज गार्डन और निजी पार्कों में भी लोग इसे शो-प्लांट समझकर लगा रहे हैं।
अनुमान है कि सिर्फ सिटी पार्क और रिवरफ्रंट में करीब 10,000 से अधिक कोनोकार्पस लगाए जा चुके हैं।
कोनोकार्पस क्यों है खतरनाक?
1. स्वास्थ्य पर गंभीर असर
इस पेड़ में आने वाले परागकण (पोलन) तेज एलर्जी का कारण बनते हैं।
अस्थमा रोगियों के लिए अत्यंत खतरनाक, इससे अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
सांस रोकने वाले सूक्ष्म कण हवा में फैलते हैं जिससे प्रदूषण बढ़ता है।
ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता भी बेहद कम।
2. पर्यावरण और भूजल को नुकसान
यह पेड़ धरती से तेजी से पानी सोखकर भूजल स्तर कम करता है।
पास के दूसरे पेड़-पौधों को पानी नहीं मिल पाता, जिससे वे धीरे-धीरे सूखने लगते हैं।
इस पर पक्षी घोंसला नहीं बनाते और न ही मवेशी इसकी पत्तियाँ खाते हैं, जिससे बायोडायवर्सिटी को नुकसान।
विशेषज्ञों और अधिकारियों की राय
“कोनोकार्पस नहीं लगाना चाहिए”
अनुराग भटनागर, उप वन संरक्षक (वन्यजीव), कोटा
“कोनोकार्पस मानव स्वास्थ्य और बायोडायवर्सिटी दोनों के लिए हानिकारक है। इसकी जानकारी लोगों को नहीं होती और अनजाने में इसे शो प्लांट समझकर लगा देते हैं। यह सांस संबंधी रोगों का बड़ा कारण है।”
“मामले का अध्ययन करवाकर कार्रवाई करेंगे”
मुकेश चौधरी, सचिव, KDA
“हम पेड़ के स्वास्थ्य व इको सिस्टम पर प्रभाव का अध्ययन करवाएंगे। यदि यह घातक पाया गया, तो इसे हटाकर अन्य उचित पेड़ लगाए जाएंगे।”
“मुख्यमंत्री को अवगत कराकर इस पर रोक लगवाएंगे”
संदीप शर्मा, विधायक, कोटा दक्षिण
“यह पेड़ एलर्जी और अस्थमा का बड़ा कारण है। पिछली सरकार में बिना अध्ययन कर इसे बड़ी संख्या में लगाया गया। अब कोटा की हवा को यह प्रदूषित कर रहा है। मैं इस पर रोक लगाने का मुद्दा मुख्यमंत्री के सामने उठाऊंगा।”
चार राज्यों में पहले ही प्रतिबंधित
कोनोकार्पस पर पहले ही इन चार राज्यों में सरकारी प्रतिबंध लागू है।
महाराष्ट्र
गुजरात
आंध्र प्रदेश
तेलंगाना
यहां इसे मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभावों के कारण पूरी तरह रोक दिया गया है।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों को अनजाने में खतरा
सिटी पार्क व रिवरफ्रंट में रोज भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वहां लगाए गए ये पौधे अनजाने में लोगों को एलर्जी, सांस फूलने और अस्थमा जैसे रोगों की चपेट में ला रहे हैं।
नर्सरी वाले भी आकर्षक दिखने के कारण इस पेड़ को तेजी से बेच रहे हैं, जिससे खतरा और बढ़ रहा है।
कोटा में हरियाली के नाम पर लगाए गए कोनोकार्पस अब शहर की आबोहवा और लोगों की सेहत के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। विशेषज्ञों और नेताओं की चिंता के बाद अब उम्मीद है कि इस मामले पर जल्द निर्णायक कदम उठाए जा सकते हैं।
